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SEBA Class 9 Hindi Chapter 12: मुरझाया फूल All Questions & Answers || নৱম শ্ৰেণীৰ হিন্দী অধ্যায় ১২ ৰ সকলো প্ৰশ্নৰ উত্তৰ

SEBA Class 9 Hindi Chapter 12: मुरझाया फूल All Questions & Answers || নৱম শ্ৰেণীৰ হিন্দী অধ্যায় ১২ ৰ সকলো প্ৰশ্নৰ উত্তৰ

"मुरझाया फूल"



अ. सही विकल्प का चयन करो:

1. कवियत्री महादेवी वर्मा की तुलना की जाती है-

उत्तर: मीराबाई के साथ।


2. कवियत्री महादेवी वर्मा का जन्म कहांँ हुआ था?

उत्तर: फर्रुखाबाद में।


3. महादेवी वर्मा की माता का नाम क्या था?

उत्तर: हेमरानी शर्मा।


4. 'हास्य कथा था,........... अंक में तुझको पवन।'

उत्तर: खिलाता।


5. 'यत्न माली का रहा........... से भरता तुझे।'

उत्तर: आनंद।


6. करतार ने धरती पर सबको कैसा बनाया है?

उत्तर: स्वार्थमय।



(आ) 'हांँ' या 'नहीं' में उत्तर दो:

1. छायावादी कवित्री महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवित्री के रूप में भी प्रसिद्ध है।

उत्तर: हांँ


2. महादेवी वर्मा के पिता-माता उदार विचारवाले नहीं थे।

उत्तर: नहीं।


3. महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की।

उत्तर: हाँ


4. वायु पंखा झल फूल को सुख पहुंँचती रहती है।

उत्तर: नहीं


5. मुरझाए फूल की दशा पर संसार को दुख नहीं होता।

उत्तर: हांँ



(इ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

1. महादेवी वर्मा की कविताओं में किन के प्रति  विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है?

उत्तर: महादेवी वर्मा की कविताओं में अपने प्रियतम अज्ञात सत्ता के प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है।


2. महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ था?

उत्तर: महादेवी बर्मा का विवाह छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद हुआ था।


3. महादेवी वर्मा ने किस रूप में अपने कर्म-जीवन का श्रीगणेश किया था?

उत्तर: महादेवी वर्मा ने महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में अपनी कर्म-जीवन का श्रीगणेश किया था।


4. फूल कौन-सा कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है?

उत्तर: फूल दान कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है।


5. भ्रमर फूल पर क्यों मंँडराने लगते हैं?

उत्तर: भ्रमर फूल पर लुब्ध मधु पान  करने के लिए मंँडराने लगते हैं।



(ई) अति संक्षिप्त उत्तर दो:

1. किन गुणों के कारण महादेवी वर्मा की काव्य-रचनाएंँ हिंदी-पाठकों को विशेष प्रिय रही है?

उत्तर: महादेवी वर्मा ने अपने काव्य को विरहानुभूति और व्यक्तिगत दुःख-वेदना कि अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया है। महादेवी की इन्हीं गुणों के कारण उनकी काव्य रचनाएं हिंदी पाठकों को विशेष प्रिय रही है।


2.महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य-रचनाएं क्या-क्या है? किस काव्य-संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था?

उत्तर: महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य रचनाएं हैं-  'नीहार', 'रश्मि', 'नीरजा', 'संध्यागित', 'दीपशिखा' और 'यामा'। 'यामा' काव्य-संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।


3. फूल किस स्थिति में धारा पर पड़ा हुआ है?

उत्तर: मुरझाया हुआ फूल धारा यानी धरती पर बेजान स्थिति में पड़ा हुआ है। आज उसमें पहले जैसी सुगंध और कोमलता नहीं रही, जिसके कारण कोई भी उसे अपनाना नहीं चाहता। जिसने कभी अपनी माधुर्य से सबका दिल जीता था, आज वह मुरझाकर  जमीन पर बेजान पड़ा है।


4. खिले फूल और मुरझाए फूल के साथ पवन के व्यवहार में कौन-सा अंतर देखने को मिलता है?

उत्तर: पवन ने खिले फूलों के साथ खूब खेला तथा उसे हमेशा हंसाया है। कली की स्थिति में उसे गोद में लेकर झुलाया है, तो नींद न आने पर वायु के झोंकों से उसे सुलाया भी है। लेकिन मुरझाए हुए फूल को पवन ने ही अपने तीव्र वायु के झोंके से जमीन पर भी गिराया है।


5. खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौंरे के व्यवहार क्या भिन्न-भिन्न होते हैं?

उत्तर: खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भोरे के व्यवहार भिन्न भिन्न होते हैं। जब बगीचे में खिले फूल लहराते हैं तब फूल की सुंदरता एवं उसकी सुगंध की ओर आकृष्ट होकर भौंरे मधु पान करने हेतु मंडराने लगते हैं। लेकिन जब फूल मुरझाकर जमीन पर गिर जाता है तब उस फूल के प्रति किसी भौंरे का ध्यान नहीं जाता है। क्योंकि उस फूल में पहले जैसी सुगंध एवं मधु नहीं बचती और भौंरे भी जमीन पर गिरी मुरझाए फूल का मधुपान नहीं करता है।



(उ) संक्षिप्त उत्तर दो:

1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक दिन का उल्लेख करो।

उत्तर: आधुनिक हिंदी काव्य साहित्य के अंतर्गत बहनेवाली छायावादी काव्यधारा की चार प्रमुख विभूतियों में कवित्री महादेवी वर्मा अन्यतम है। उनकी तुलना कृष्ण प्रेमी दीवानी मीराँबाई से की जाती है। इसलिए उनको आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। उन्होंने अपने काव्य को आराध्य की विरहनुभूति और व्यक्तिगत दुःख- वेदना की अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया है।
         महादेवी वर्मा ने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। जिसमें काव्य की रचनाएं हैं:- नीहार, रश्मि, नीरजा, संध्यागीत, दीपशिखा और यामा। गद्य में उन्होंने स्मृति की रेखाएंँ, अतीत के चलचित्र, श्रृंखला की कड़ियांँ और पथ के साथी जैसे रचनाएं की हैं। उन्हें पद्मश्री उपाधि से भी नवाजा गया है और 'यामा' के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। उनकी काव्य भाषा संस्कृत -निष्ठ खड़ीबोली हैं, जो कोमलता, मधुरता, गेयता आदि गुणों से संपन्न है।


2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते हैं, पठित कविता के आधार पर वर्णन करो।

उत्तर: महादेवी वर्मा ने इस कविता के जरिए खिले फूल के प्रति पवन, चंद्रमा, भौंरे तथा ओस की बूंदे किस प्रकार आकर्षित होते हैं उसका सुंदर वर्णन किया है। जब फूल कली की अवस्था में होती है तब पवन उसे अपने गोदी में लेकर झूलाता है, तथा उसके साथ खेलता है। इसके बाद जब पूर्ण रूप से विकसित होकर फूल खिलने लगता है तो उसकी शोभा बढ़ाने के लिए चंद्रमा अपनी रोशनी से उसे हंसाती है और पवन भी उसे सुलाने की कोशिश में पंखा बन जाता है। तो ओस की बूंदे मुक्त जल से फूल का श्रृंगार करती है। फूलों की मधुरता देख भौंरे भी लुब्ध मधुपान करने के लिए उसके चारों और मंँडराने लगते हैं। अतः फूल अपनी सौंदर्य तथा अपनी माधुर्य से सबका दिल जीत लेती है। जिसे देख सभी आकर्षित हो जाते हैं।


3. पठित कविता के आधार पर मुरझाए फूल के साथ किए जाने वाले बर्ताव का उल्लेख करो।

उत्तर: मुरझाए फूल के साथ मनुष्य तथा प्रकृति किस प्रकार बर्ताव करता है उसका वर्णन भी महादेवी ने विरहनुभूति भाव से किया है। खिले हुए फूल के प्रति मनुष्य तथा प्रकृति भी आकर्षित होता है। लेकिन जब वह फूल धीरे-धीरे मुरझाने लगता है तो उसके प्रति दूसरों का ध्यान घटने लगता है। एक समय ऐसा था जब पवन उसे गोदी में लेकर झुलाया करता तो कभी उसके लिए पंखा बन जाता, पर आज उसी पवन ने अपनी तीव्र झोंकों से उसे जमीन पर गिरा दिया है। वह चंद्रमा जो कभी उसे अपनी रोशनी से हंँसाया करती थी अब उसका ध्यान उस पर नहीं रहा। अब भोरे भी उसके चारों ओर नहीं मंँडराते। जिस माली ने प्यार से उसकी देखभाल की, वह ब उसे देखता तक नहीं। अर्थात फूल की सुंदरता जब तक बनी रहेगी तब तक उसे हर किसी से प्यार तथा आदर मिलेगा। मुरझाने के बाद हर कोई उससे मुंँह मोड़ लेता है। चाहे वह मनुष्य हो या फिर प्रकृति।


4. पठित कविता के आधार पर दानी सुमन की भूमिका पर प्रकाश डालें।

उत्तर: सुमन यानी फूल हमेशा से सबका दिल जीतता आया है। उसने अपनी विशेषताओं से सब को खुश किया तथा अपना समस्त मधु दान करके हर एक भौंरे का दिल जीता है। सब कुछ दान करने के बाद भी फूल कभी स्वार्थी नहीं होता। कवि के अनुसार इस संसार में विधाता ने सबको स्वार्थमय ही बनाया है। इसलिए कवि ने फूल को समझाते हुए कहा है कि जब दानी फूल की दशा पर किसी को रोना आता नहीं तो मनुष्य के लिए कौन रोएगा।



(ऊ) सम्यक उत्तर दो:

1. 'मुरझाया फूल' शीर्षक कविता में फूल के बारे में क्या-क्या कहा गया है।

उत्तर: कवित्री महादेवी वर्मा जी ने मुरझाया फूल शीर्षक कविता में फूल के बारे में विरहनुभूति भावनाओं को व्यक्तकर कहा है कि खिले हुए फूल को देख सभी आकर्षित होते हैं, पर जब वही फूल मुरझाकर जमीन पर गिर जाता है तो उसे कोई देखता तक नहीं। खिले हुए फूल के साथ पवन खेलता है, उसे हंँसाता हैं, पंखा बनकर उसे सुलाने की कोशिश करता है। चंद्रमा अपनी रोशनी से हंँसाती है तो ओस की बूंदें अपनी मुक्ता जाल से उसका श्रृंगार कर देती है। भोरे मधु पान करने के हेतु उसके चारों और मंँडराने लगते हैं। माली प्यार से उसकी देखभाल करता है। 
             लेकिन जब फूल मुरझाने लगता है तो उसे कोई नहीं देखना चाहता। जिस पवन ने उसे अपनी गोदी में लेकर खिलाया था, वही पवन फूल के मुरझा जाने के बाद अपनी तीव्र झोंकों से जमीन पर गिरा देता है और  वृक्ष भी उसके खो जाने का गम नहीं मनाती। भौंरे भी उसके पास मंँडराने नहीं आते। अर्थात जिस फूल ने अपना समस्त दान कर सबको ख़ुशी दी, आज उसी फूल को कोई अपनाना नहीं चाहता। इसी बात पर कवि ने मुरझाए हुए फूल को दुखी न होने की सलाह दी है और कहांँ है कि इस संसार में भगवान ने सभी को  स्वार्थमय ही बनाया है।


2.'मुरझाया फूल' कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन के संदर्भ में क्या संदेश दिया है?

उत्तर: कवि महादेवी वर्मा ने मुरझाए फूल कविता के माध्यम से फूल के साथ मानव जीवन की तुलना की है। जिस तरह कली से लेकर खिले फूल तक, फूल सबका ध्यान अपनी ओर खींचता है। मधु पान हेतु जिस तरह सभी भौंरे उसकी चारों और मंँडराने लगते हैं। ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में शैशव काल से युवा काल तक लोग एक दूसरे से मिलजुल कर रहते हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे का साथ देते हैं। जब फूल मुरझाने लगता है तो उसके पास कोई नहीं आना चाहता और माली भी उसका देखभाल  नहीं करना चाहता। कवियत्री ने इसी बात का उदाहरण देते हुए कहा है कि मानव जीवन में भी मुरझाए हुए फूल की तरह स्थिति आती है जब मनुष्य बुढ़ापे में कदम रखता है। बुढ़ापा छाते ही समाज या घरेलू सदस्यों का आदर कम होने लगता है। कवित्री ने इसी बात का संदेश 'मुरझाया फूल' कविता के माध्यम से दिया है।



(ए) प्रसंग सहित व्याख्या करो:

1. 'स्निग्ध किरणें चंद्र की...... सृंगारती थी सर्वदा।'

उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत कवित्री महादेवी वर्मा जी द्वारा रचित कविता 'मुरझाया फूल' से लिया गया है।

प्रसंग: इस पंक्ति में प्रकृति किस प्रकार खिले फूल के प्रति अपना योगदान देती है उसका वर्णन है।

व्याख्या: इस पंक्ति के जरिए कवियत्री  यह कहना चाहती है कि खिले फूल की सौंदर्यता देख सभी मोहित हो जाते है और उसके साथ खेल कूद करने लगते है। उसी प्रकार चंद्रमा कि निर्मल किरणें उसे सदा हंसाती है और ओस की बूंदे मुक्ता जाल से उसका श्रृंगार करती है। अर्थात चंद्रमा और ओस की बूंदों के योगदान से फूलों की  शोभा और भी बढ़ जाती है।


2. 'कर रहा अठखेलियांँ.......... या कभी क्या दयान में।'

उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियांँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत कवित्री महादेवी वर्मा जी द्वारा रचित कविता 'मुरझाया फूल' से लिया गया है।ss

प्रसंग:  इस पंक्ति में कवित्री जी ने खिले हुए फूल के साथ मुरझाए हुए फूल का तुलना किया है।

व्याख्या: कवियत्री मुरझाए हुए फूल से प्रश्न करती है कि- जब बाग में वह खिला करती थी, अपनी धुन में मतवाला होकर इधर उधर झूमने लगती थी, अपने सौंदर्य रूप से सबको आकर्षित करती थी। अब जो वह मुरझाकर जमीन पर गिर पड़ी है  न उसे कोई अपनाता है, न कोई उसे देखना चाहता है। क्या अंत में उसकी स्थिति ऐसी होगी इस बात का क्या उसे ध्यान भी था।

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